पेशाब के रास्ते कभी-कभी निकलने वाला यह पदार्थ “’प्रीकोटियल फ्लूइड’ होता है। इसका कार्य पेशाब के रास्ते की अम्लीयता को खत्म करना होता है, जिससे की शुक्राणु इस वातावरण में जीवित रह सके। कभी कभार यौन विचारों व उत्तेज़ना के कारण युवावस्था में पेशाब के साथ वीर्य भी निकल सकता है, यह एक प्रकार का शीघ्रपतन (प्रीमेच्योर इजेक्युलेशन) है, जिसका शरीर पर कोई भी बुरा प्रभाव नहीं होता है।यौन इच्छाओं को दबाना और हस्तमैथुन से बचना जरूर आपके लिये मानसिक तनाव का कारण बन सकता है ..रही बात रोग और उपचार की, तो यह एक प्रकार का ‘कल्चर बाउंड सिंड्रोम’ है, जो आपकी मान्यताओं, विश्वासों व भ्रांतियों के कारण पैदा होता है । आप तनाव और हीनभावना महसूस करतें है और उससे ही इसके लक्षण और बढ़ते जाते हैं ।अगर डिप्रेशन (अवसाद), पैनिक अटैक, थकान, हीन भावना जैसे लक्षण आ रहे है तो इसे काउंसलिंग और मनोचिकित्सकों की सलाह लेकर ठीक किया जा सकता है, इसके लिए किसी अलग तरह के इलाज की ज़रूरत नहीं है ।
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